शरद पूर्णिमा
ऊर्जा का रोमांच लिए तन, मन भी होता पावन।।
संपूर्ण कला परिपूर्ण चंद्रमा अमृत रस बरसायें
महारास के गीत कन्हैया नाना भांति सुनायें
कर्म योग का रोग लगाने,नाच रहे जगपावन।
ऊर्जा का रोमांच लिए तन, मन भी होता पावन।।
खग की पीड़ा असह्य जिन्हें है यह दुनिया बतलाती
आदि कवि की हृदय वेदना रामायण रच जाती
कोटी कोटी वंदन है, जिनकी कविता पाप नसावन।
ऊर्जा का रोमांच लिए तन, मन भी होता पावन।।
जिनकी रचना में ढलने को स्वयं राम जी आते
वन वन भटक रहे मायापति प्रेम योग सिखलाते
ज्ञान रुप बन महाकवि हुए तीनों ताप नसावन।
ऊर्जा का रोमांच लिए तन, मन भी होता पावन।।
माता मीरा की भक्ति का कोई जोड़ नहीं है
एक बार लग जाए जिसे फिर कोई तोड़ नहीं है
कृष्ण भक्ति से भिगो दिया मन,बनके भादों सावन ।
ऊर्जा का रोमांच लिए तन, मन भी होता पावन।।
Radhe Radhe
जवाब देंहटाएंराधे राधे
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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