होलिकोत्सव
मैं तेरे रँग रँगूं ,तुझ पे रँग हो मेरा।
खुद को देखूं जो मैं,आईना हो तेरा
ऐसी होली मने यारों अबकी दफा
सारी दुनिया में हो,प्यार का रंग भरा।।१ ।।
भांग का क्या नशा, हो नशा प्यार का
थोड़ा इकरार का,थोड़ा तकरार का
आ गले हम मिलें हर गिला भूल कर
खुद ये खुशियाँ भरे,सारे संसार का।।२।।
सारे दुख रात की,होलिका में जले
और जल जाये,मन के सभी जलजले
लाख संघर्ष से हो भरा पथ मगर
होगा आसान जो ,साथ में हम चले।।३।।
रंग ये प्रेम का, जिन्दगी भर रहे
खिलते फूलों से,मुस्काते चेहरे रहें
राम जी के चरन में है ये प्रार्थना
दंश नफरत की ना ,भारती माँ सहे।।४।।
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