मुस्कुराना चाहता हूँ

मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ|

तेरे साथ में मुस्कुराना चाहता हूँ||

मौन हूँ कुछ कह नहीं पाता

जज्बात तुझसे बताना चाहता हूँ

मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ।।


खुलीं आँख ख्वाबों में तुम आ रहे हो

बैठे  मेरे  पास  मुस्का  रहे हो

मेरे ख्वाब कैसे बताऊँ मैं तुझसे

ख्वाबो में तेरे समाना चाहता हूँ

मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ।।


मैं कह न पाता या तुम सुन न पाते

या फिर हो जज्बात हमसे छुपाते

नयनों की भाषा से अनजान हूँ मैं

लेकिन उसी में समाना चाहता हूँ

मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ।।


लिखकर ही मन की व्यथा रोकता हूँ

जुवां पर न आ जाये,ये सोचता हूँ

क्यों और कैसे नहीं मुझको मालूम

पर तेरी खुशियाँ कमाना चाहता हूँ

मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ|

तेरे साथ में मुस्कुराना चाहता हूँ||

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