सम्राट
एक बार की बात बात है।एक जंगल में एक बब्बर शेर समस्त जंगली जीवों पर कुशलता पूर्वक राज्य करता था,उसके राज्य में सब प्रसन्न थे।सभी जीवधारी अपने राजा की तरह सुव्यवस्थित जीवन जीने को प्रयासरत थे। वहाँ कोई भी जरूरत से ज्यादा हड़पने पर विश्वास नहीं करता था। फलस्वरूप मौसम व प्रकृति भी लोगों के अनुकूल थी।
एक दिन जंगल के राजा बब्बर शेर को एक पुत्र हुआ। सभी जंगली जीवों ने अपने नए राजकुमार के आगमन का उत्सव मनाया और प्यार से उसे सम्राट नाम दिया। सम्राट शरीर से अत्यंत खूबसूरत और बुद्धिमान प्रतीत होता था।
समयानुसार वह बड़ा और बलवान होने लगा। परन्तु इन सबके साथ साथ उसमें बढ़ रहा था घमण्ड, उसके ज्ञान व बल का| उसे अपने पिता की नीतियाँ कठिन एवं बकवास प्रतीत होती थी। उसे लगता था उसके पिता व्यर्थ ही लोगों के लिए श्रम करते हैं और उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास करते हैं।उन्हें जंगल की खुशियों से क्या मतलब जबकि वह बिना किसी प्रयत्न के मौज कर सकते हैं,वे राजा तो अपने बल व बुद्धिमत्ता से बनें हैं फिर इन मुर्ख जीवों से क्या मतलब ये तो हमारे उपभोग मात्र के लिये उत्पन्न हुए हैं। वह अपने मित्र मंडली ( जो कि गीदड़ों की थी ) में बैठकर अपने पिता का उपहास करता था।सम्राट गीदड़ों के बीच अन्धो में काना राजा जैसा था अतः कोई उसका विरोध भी नहीं करता था। और गीदड़ों को भी चाटुकारिता के कारण अच्छे भोजन प्राप्त हुआ करता था।
खैर एक दिन सम्राट के वन्धन खत्म हो गये उसके माता पिता भी चिंता व शरीर से मुक्त हो गये।अब सम्राट को रोकने वाला कोई नहीं था।सिंहनी ने एक -दो बार प्रयास किया फिर वो भी उसी माहौल में रहने लगी क्योंकि उसे बहाना मिल गया कि सम्राट कहा नहीं सुनता।
अब प्रतिदिन सम्राट 8-10 जानवर मारकर लाता 1-2 दोनों मिलकर खाते और बाकी फेंक देते।जानवरों में सम्राट का आतंक भर गया था।कुछ पलायन करने लगे और कुछ अत्यधिक संख्या में मरने से खत्म होने लगे। सम्राट को लगता था ये रोज पैदा होते हैं ये खत्म कैसे हो सकते हैं जैसे हमारे कुछ वन्धु कहते हैं पृथ्वी का तीन भाग जल है।और तो और अब वह अपने गुफा का विस्तार भी महलों की भाँति करने लगा ताकि आने वाले वंशज उसपर गर्व कर सके और आराम से रहे।
कालांतर में सम्राट की सिंहनी ने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया।सम्राट अत्यंत खुश था परन्तु आज पूरा जंगल अत्यंत शोक में डुबा हुआ था। आज एक नया भय उत्पन्न हो गया था सबकी आँखें उदास भाव क्या ये बब्बर शेर के वंशज हैं,सब मजबूर थे।
इधर प्राकृतिक नियमानुसार जीवों के साथ साथ उनके भोग सामग्री प्रकृति संसाधन भी स्वतः समाप्त हो रहे थे पर सम्राट को इसकी जरा भी फिक्र नहीं थी पर हाँ उसमें बच्चे के भविष्य की चिंता थी वह उससे इतना प्यार करता था कि बच्चे से पल भर दूर रहना उसे स्वीकार नहीं था। जब वन्य जीव संरक्षण अधिकारी को पता चला कि सिंह परिवार की वजह से सारा जंगल वीरान हो रहा है तो वे सम्राट के पीछे पड़ गयें। अभी बच्चे ने शिकार के बारे में जाना भी नहीं था कि सम्राट और सिंहनी वन सैनिकों के हाथ लग गये।
अब वे एक पिजड़े में बन्द थे। सम्राट ने चीख चीख कर जान दे दी पर चीखें सुनने वाला कोई न था। और सिंहनी अकेली पिजड़े में बन्द रो रही थी पर अब उसे लग रहा था कि यदि वह बहाने के आड़ न लेती तो शायद आज सम्राट व बच्चे के साथ हरे भरे ऐश्वर्ययुक्त जंगल में राज करती पर अब वो सिर्फ बिलाप कर सकती थी।उसने कैदी की भाँति नाना प्रकार के कष्ट सहते हुए मर गई।इधर वो सम्राट का छोटा बच्चा जिसके लिए सम्राट ने गुफा को महल बनाया,जिससे पल भर की दूरी सम्राट को अत्यंत कष्टप्रद थी ।उसे अपने पिता के कृत्यों पर शर्म आती थी और अपने माता पिता को जी भर के कोसता था क्योंकि उसे महल से ज्यादा भोजन,जल एवं हरे भरे जंगल की आवश्यकता थी जिसे सम्राट ने विनष्ट कर दिया था।
*अब अगर प्रस्तुत कहानी में जंगल को संसार माने तो सम्राट व सिंहनी को मानव जाती से जोड़ कर अपने कर्तव्य सुनिश्चित करें अन्यथा परिणाम सामने है।
सुन्दर कहानी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद🙏
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