अंतिम युद्ध

 

महासमर युत जीवन पथ में, यह विजय की सांध्य बेला

चाहती विश्राम मुझमें, कर रही मुझको अकेला


सूर्य अस्ताचल हुए हैं

युद्ध को कुछ पल हुए हैं

सामने सब दिख रहा है

धर्म क्या,क्या छल हुए हैं

सोचता मन किसलिए यह, रक्तरंजित खेल खेला

महासमर युत जीवन पथ में, यह विजय की सांध्य बेला


पल नहीं अवसाद का है

शौर्य पौरुष याद का है

क्या यही पल लक्ष्य मेरा

हर समर के बाद का है

क्या इसी विश्राम को ही, वार आगे बढ़ के झेला

महासमर युत जीवन पथ में,यह विजय की सांध्य बेला


युद्ध भूमि पाट आया

तब विजय का घाट आया

कल वही फिर से मिलेगा

आज जिसको छाँट आया

सोचता क्या सोच आखिर ,युद्ध में खुद को धकेला

महासमर युत जीवन पथ में,यह विजय की सांध्य बेला


कर्म पथ कब त्यागता हूँ

युद्ध से कब भागता हूँ

युद्ध जो अंतिम दिखादे

बस वही वर माँगता हूँ

हर समर के बाद फिर से,एक समर आता नवेला

महासमर युत जीवन पथ में, यह विजय की सांध्य बेला


आत्ममंथन बल लिया है

और उठकर चल दिया है

धर्म का कुछ मर्म समझे

कर्म पथ सम्बल लिया है

जय पराजय काल जाने, हाथ मेरे बस सकेला*

महासमर युत जीवन पथ में,यह विजय की सांध्य बेला


*सकेला - कोमल और कठोर लोहे के मिश्रण से बनी तलवार

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