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मुस्कुराना चाहता हूँ

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मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ| तेरे साथ में मुस्कुराना चाहता हूँ|| मौन हूँ कुछ कह नहीं पाता जज्बात तुझसे बताना चाहता हूँ मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ।। खुलीं आँख ख्वाबों में तुम आ रहे हो बैठे  मेरे  पास  मुस्का  रहे हो मेरे ख्वाब कैसे बताऊँ मैं तुझसे ख्वाबो में तेरे समाना चाहता हूँ मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ।। मैं कह न पाता या तुम सुन न पाते या फिर हो जज्बात हमसे छुपाते नयनों की भाषा से अनजान हूँ मैं लेकिन उसी में समाना चाहता हूँ मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ।। लिखकर ही मन की व्यथा रोकता हूँ जुवां पर न आ जाये,ये सोचता हूँ क्यों और कैसे नहीं मुझको मालूम पर तेरी खुशियाँ कमाना चाहता हूँ मैं देंह छोड़ डायरी में आना चाहता हूँ| तेरे साथ में मुस्कुराना चाहता हूँ||

सम्राट

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एक बार की बात बात है।एक जंगल में एक बब्बर शेर समस्त जंगली जीवों पर कुशलता पूर्वक राज्य करता था,उसके राज्य में सब प्रसन्न थे।सभी जीवधारी अपने राजा की तरह सुव्यवस्थित जीवन जीने को प्रयासरत थे। वहाँ कोई भी जरूरत से ज्यादा हड़पने पर विश्वास नहीं करता था। फलस्वरूप मौसम व प्रकृति भी लोगों के अनुकूल थी।                     एक दिन जंगल के राजा बब्बर शेर को एक पुत्र हुआ। सभी जंगली जीवों ने अपने नए राजकुमार के आगमन का उत्सव मनाया और प्यार से उसे सम्राट नाम दिया। सम्राट शरीर से अत्यंत खूबसूरत और बुद्धिमान प्रतीत होता था।                      समयानुसार वह बड़ा और बलवान होने लगा। परन्तु इन सबके साथ साथ उसमें बढ़ रहा था घमण्ड, उसके ज्ञान व बल का| उसे अपने पिता की नीतियाँ कठिन एवं बकवास प्रतीत होती थी। उसे लगता था उसके पिता व्यर्थ ही लोगों के लिए श्रम करते हैं और उन्हें सुरक्षित रखने का प्रयास करते हैं।उन्हें जंगल की खुशियों से क्या मतलब जबकि वह बिना किसी प्रयत्न के मौज कर सकते हैं,वे राजा तो अपने ब...