हे कृष्ण

हे कृष्ण दया करना हमको, मंथन की विधि बता दो खुद को मथ मन माखन करलें, प्रभु आकर इसे चुरा लो|| प्रभु आप चुरा लो इसको तो, आनंदित हो क्रीड़ाओं से यदि तुममें ही ये रमा रहे, तो बच जाये पीड़ाओं से गीता का ज्ञान नहीं मुझको, फिर भी एक गीत बना लो खुद को मथ मन माखन करलें, प्रभु आकर इसे चुरा लो।। तुम मनमोहन कहलाते हो, मन मोहित करके दिखलाओ ये माया झूठी है या सही, प्रभु ज्ञान नहीं अब बतलओ सेवा का धर्म नहीं मालूम, फिर भी निज दास बना लो खुद को मथ मन माखन करलें, प्रभु आकर इसे चुरा लो।। नैनों में अब तो बस जाओ, नैनों में बात करें हम तुम कानों में वंशी मधुर मधुर, अधरों...